Pavitra Bijak : Pragya Bodh : Kahara : 3 : 1

पवित्र बीजक : प्रग्या बोध : कहरा : 3 : 1

कहरा : 3 : 1

राम नाम का सेवहु बीरा , दूरि नहिं दूरि आशा हो ! 

शब्द अर्थ : 

राम : निराकार निर्गुण चेतन राम ! नाम = चिंतन मनन ! का = उसका ! बीरा = नागवेल का पत्ता , लक्ष ! दूरि = दुसारी ! नाहिं = नही ! दूरि = दूर ! आशा = निर्वांण लक्ष ! 

प्रग्या बोध : 

परमात्मा कबीर कहरा 3 के प्रथम पद मे स्पस्ट कहते है की वे निर्गुण निराकार चेतन तत्व राम जो अमर अजर सदा के लिये है जो इस चराचर शृष्टी एकमात्र निर्माता चालक मालक परमात्मा है जो सभी मे है और सभी उसी मे समाहित है उस एकमात्र पर्मेश्वर का सदा दिन रात उठते बैठते चिंतन मनन सु सुमरण करते रहते है वही उनका देह , भोजन , खानपान और लक्ष है अन्य कोई नही ! 

सत्य शिव सुन्दर चेतन तत्व राम को समझना और सहज सरल निर्विकार जीवन जी कर निर्वांण पद जो निराकार निर्गुण चेतन राम का स्वरूप है उसे पाना ही मानव ज़िवन का परम लक्ष है ज़िसे धर्मात्मा कबिर पाकर परमात्मा हुवे !

धर्मविक्रमादित्य कबिरसत्व परमहंस 
दौलतराम  
जगतगुरू नरसिंह मुलभारती 
मुलभारतिय हिन्दूधर्म विश्वपीठ 
कल्याण , अखण्ड हिन्दुस्तान , शिवशृष्टी

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